Tuesday, September 18, 2007

KALYUG


कलयुग का प्रारम्भ कैसे हुआ?
एक दिन महाराज युधिश्तिर कि सभा में दो किसान एक अजीब सा किस्सा लेकर आये | एक किसान ने दूसरे को अपना खेत बेचा और जब दूसरा किसान उसे जोतने लगा तो उसे उसमे एक मटका भर सोना मिला। पहले किसान ने कहा "महाराज मैंने इस किसान से सिर्फ उस का खेत खरीदा है, नकी ज़मीन के अन्दर कि सम्पत्ति |" दूसरे ने कहा, "महाराज, मैंने यह खेत इस सज्जन को बेच दिया, अब उस खेत से निकला हुआ सम्पत्ति भी उसी का होगा। मैं यह सम्पत्ति लेकर पाप नहीं करना चाहता हूँ | "
यह सुनकर महाराज युधिश्तिर गहरे संकोच में पड़ गए और बहुत देर तक उन्हें उपाय ना सूझने पर भगवान् श्री कृष्ण से जा पूछे | भगवान् ने यूएन दो किसानों को सात दिन बाद दुबारा हाजिर होने कि आज्ञा दी |
एक सप्ताह बाद वेह दो किसानों कि लडाई उलट गयी | पहले ने कहा कि फसल मैंने बेचा, सोना मेरा है | और दूसरे ने कहा कि मैंने फसल खरीदा है तो उस के साथ फसल में गडे हुए चीज़ भी मेरे हैं |
यह सुनकर भगवान् कृष्ण ने निर्णय किया कि वह सोना युधिश्तिर के धन्कोश में जाएगा |
अचंभित होकर युधिश्तिर ने जब कृष्ण से पूछा कि यह कैसा न्याय है, भगवान् कृष्ण ने कहा " यह किस्सा आनेवाले कलयुग का प्रारंभ है | द्वापर युग कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगा, और कलयुग का प्रारम्भ होगा, जहाँ राजा और महाराजा लालची हो जायेंगे, मनुष्य इस सोच में रहेगा कि वह उन्नति कर रह है, लेकिन इस युग में धर्म का नाश होगा, सारे संसार में अधर्म फैल जाएगा | मनुष्य के बल और प्रभाव घट जायेंगे, और उसकी आयुष रेखा भी घट जायेगी | कोई यज्ञ या तप उने नहीं बचायेगा | इस से मुक्ति मनुष्य को "नारायण मंत्र" के जपने से ही मिलेगा | अब समय आ गया है हमारे इस संसार से जाने का, अपने अपने शरीरों को छोड कर जाने का | "

और इस तरह प्रारम्भ हुआ कलयुग |

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